AI और डेटा प्राइवेसी पर भारत का नया कानून – 2025 का डिजिटल इंडिया का नया अध्याय
भारत अब सिर्फ़ AI‑ड्रिवन टेक्नोलॉजी से नहीं, बल्कि डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी को लेकर भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। 2025 में देश का नया डेटा प्राइवेसी और AI फ्रेमवर्क डिजिटल दुनिया को सुरक्षित, पारदर्शी और समाज के अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
राष्ट्रीय डेटा व AI कानून: वर्तमान स्थिति
- Digital Personal Data Protection Act, 2023 (DPDPA) पारित हो चुका है और इसके ड्राफ्ट नियम जनवरी 2025 में जारी किए गए हैं।
- यह कानून व्यक्तिगत डेटा प्रोसेसिंग को सुरक्षित रखने, डेटा फिड्यूशियरीज़ की जिम्मेदारियाँ तय करने और उपयोगकर्ताओं को प्राइवेसी अधिकार देने पर केंद्रित है।
- AI के लिए यह फ्रेमवर्क पारदर्शिता, सुरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित करने के मानक स्थापित करता है।
सरकार का संतुलित दृष्टिकोण
सरकार AI के लिए सीधे सख्त नियम लागू करने की बजाय, सेक्टर‑विशेष नीतियों और निजी कानूनों के माध्यम से AI को नियंत्रित कर रही है। यह रणनीति नवाचार को बाधित किए बिना सुरक्षा और नैतिकता पर ध्यान देती है।
- AI Safety Institute की स्थापना की गई है, जो नैतिक शोध, सुरक्षित AI विकास और भारतीय संदर्भ पर आधारित डेटा मॉडल पर काम करेगा।
उपयोगकर्ताओं के लिए बदलाव
प्रभाव क्षेत्र | संभावित लाभ |
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डेटा सुरक्षा | प्राइवेसी मजबूत होगी – breach notification और consent structure स्पष्ट होंगे |
AI ऐप्स और प्लेटफ़ॉर्म | AI टूल्स को अपनी उपयोगिता और डेटा स्रोतों को स्पष्ट रूप से बताना होगा |
मार्केटिंग व विज्ञापन | डेटा प्रोसेसिंग पर अधिक नियंत्रण, पर्सनलाइजेशन में पारदर्शिता |
डेटा प्रोसेसर कंपनियाँ | नए डेटा बोर्ड से विवाद समाधान और दावा निपटान आसान होगा |
निरपेक्ष रुख और भविष्य की दिशा
IAMAI जैसे उद्योग संगठनों का मानना है कि AI मॉडल ट्रेनिंग में लगे डेटा फिड्यूशियरीज़ के लिए अत्यधिक बाधाएं हटाई जानी चाहिए ताकि नवाचार को बढ़ावा मिले। सरकार भी फिलहाल AI उत्पादों पर औपचारिक नियम लाने से पहले सतर्क और लचीला रुख अपना रही है।
निष्कर्ष
भारत का नया AI और डेटा प्राइवेसी कानून सिर्फ़ टेक्नोलॉजी को नहीं, बल्कि उपयोगकर्ताओं के डिजिटल अनुभव को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने का प्रयास है। यह कानून आने वाले वर्षों में नवाचार और सुरक्षा के बीच संतुलन का मजबूत उदाहरण बनेगा।