भारत का सेमीकंडक्टर मिशन 2025: चिप निर्माण से आत्मनिर्भरता तक

भारत का सेमीकंडक्टर मिशन 2025: चिप निर्माण से आत्मनिर्भरता तक

भारत ने 2025 में तकनीकी क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। India Semi­con­duc­tor Mis­sion (ISM) के अंतर्गत देश अब केवल चिप्स का उपयोग करने वाला नहीं, बल्कि उन्हें बनाने वाला बन रहा है। यह मिशन न सिर्फ़ भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण स्थान दिला रहा है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी मज़बूती दे रहा है।


1. ISM: भारत का सेमीकंडक्टर हब बनने की ठोस योजना

सरकार ने लगभग ₹76,000 करोड़ का निवेश योजना के तहत चिप डिज़ाइन, फ़ैब्रिकेशन (Fab), पैकेजिंग (OSAT) और टेस्टिंग यूनिट्स को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ाया है। अब तक ₹1.6 लाख करोड़ से अधिक निवेश प्रस्तावों के साथ 10 प्रमुख प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी दी जा चुकी है।


2. Fab से लेकर Assembly & Test तक: प्रमुख परियोजनाएं

  • टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स (असम): ₹27,000 करोड़ की OSAT यूनिट, प्रतिदिन लगभग 48 मिलियन चिप्स का उत्पादन।
  • HCL–Foxconn (उत्तर प्रदेश): Jew­ar के पास ₹3,700 करोड़ का एसेम्बली/टेस्ट प्लांट।
  • अन्य प्रोजेक्ट्स: ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में नई यूनिट्स को मंज़ूरी।

ये प्रोजेक्ट्स न केवल रोजगार बढ़ाएँगे बल्कि भारत को चिप मैन्युफैक्चरिंग का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद करेंगे।


3. ‘Made in India’ चिप्स का भविष्य

सरकार का लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 तक भारत में निर्मित सेमीकंडक्टर चिप्स बाजार में उपलब्ध हों। यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम होगा और आयात पर निर्भरता कम करेगा।


4. अनुसंधान और नवाचार

  • SHAKTI प्रोजेक्ट: IIT मद्रास और SCL द्वारा विकसित देश का पहला घरेलू RISC‑V आधारित माइक्रोप्रोसेसर, जिसे ISRO के लिए एयरोस्पेस एप्लिकेशन्स में भी उपयोग किया गया।
  • उच्च शिक्षा संस्थानों में सेमीकंडक्टर रिसर्च और डिज़ाइन के लिए नए कोर्स और लैब स्थापित किए जा रहे हैं।

5. चुनौतियाँ और आगे की राह

चुनौतीस्थिति / प्रयास
निवेश और इन्फ्रास्ट्रक्चर₹76,000 करोड़ योजना के तहत फ़ैब और OSAT/ATMP पर बड़े निवेश की आवश्यकता।
वैश्विक सहयोगADI, Fox­conn जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी को बढ़ावा।
तकनीकी विशेषज्ञताSHAKTI जैसे प्रोजेक्ट्स से घरेलू तकनीकी स्वावलंबन की दिशा में प्रगति।

भारत का सेमीकंडक्टर मिशन अब सिर्फ़ योजना नहीं, बल्कि ज़मीनी हक़ीक़त बन रहा है। बड़े निवेश, वैश्विक साझेदारी और स्वदेशी अनुसंधान प्रयासों के साथ भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। यह केवल टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण छलांग है।

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