प्लास्टिक‑फ्री इंडिया – नए स्टार्टअप्स और इनोवेटिव आइडियाज

भारत हर साल लगभग 3.4 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा पैदा करता है। सिंगल‑यूज़ प्लास्टिक पर रोक लगाने के बावजूद, यह चुनौती लगातार बढ़ रही है। “प्लास्टिक‑फ्री इंडिया” केवल एक नारा नहीं, बल्कि पर्यावरण और अगली पीढ़ी की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम है। इस दिशा में कई भारतीय स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स नए समाधान लेकर सामने आए हैं।

1️⃣ सरकारी नीतियां और पहल

भारत सरकार ने 1 जुलाई 2022 से सिंगल‑यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया। इसके अलावा, “स्वच्छ भारत मिशन” और “प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स” के तहत रीसाइक्लिंग और कलेक्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

स्रोत: MoE­FCC Plas­tic Waste Rules

2️⃣ इनोवेटिव स्टार्टअप्स जो बदलाव ला रहे हैं

a. Bakey’s Edible Cutlery

हैदराबाद स्थित Bakey’s Edi­ble Cut­lery एक ऐसा स्टार्टअप है जो गेहूँ, बाजरा (mil­let) और चावल से खाने योग्य चम्मच‑कांटे (plain, sweet, savoury) तैयार करता है। यदि इन्हें नहीं खाया जाए तो ये पाँच दिनों से कम समय में प्राकृतिक रूप से विघटित हो जाते हैं। यह निश्चित ही प्लास्टिक कटलरी का एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प है।

b. Ecoware

कंपनी गन्ने के अवशेष (bagasse) से बायोडिग्रेडेबल प्लेट्स और पैकेजिंग बनाती है।

c. Bambrew

बेंगलुरु का यह स्टार्टअप बांस से स्ट्रॉ, कप और पैकेजिंग सामग्री तैयार करता है।

d. Shayna EcoUnified

यह स्टार्टअप प्लास्टिक कचरे को टाइल्स और आउटडोर फर्नीचर में बदलता है।

स्रोत:

3️⃣ नई तकनीकें और ग्रीन इनोवेशन

  • बायोप्लास्टिक: मक्का स्टार्च और शैवाल से बनी सामग्री पारंपरिक प्लास्टिक का विकल्प बन रही है।
  • रीसाइक्लिंग रोबोट्स: AI आधारित रोबोटिक सिस्टम तेजी से प्लास्टिक छांटकर रीसाइक्लिंग में मदद कर रहे हैं।
  • सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल: बड़े कॉरपोरेट्स पुराने प्लास्टिक को दोबारा प्रोडक्शन में ला रहे हैं।

4️⃣ आम नागरिकों की भूमिका

  • कपड़े के बैग का उपयोग करें और सिंगल‑यूज़ पैकेजिंग को नकारें।
  • घर में कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में बांटें।
  • स्थानीय ग्रीन स्टार्टअप्स को सपोर्ट करें।

निष्कर्ष

“प्लास्टिक‑फ्री इंडिया” का सपना केवल सरकार या स्टार्टअप्स पर निर्भर नहीं है। इसमें हर नागरिक की भूमिका अहम है। सही नीति, तकनीक और लोगों के सहयोग से भारत 2025 तक प्लास्टिक प्रदूषण को काफी हद तक कम कर सकता है।

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